Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका गुरुवार रात को दिल्ली के AIIMS में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया, देशभर में इसको लेकर शोक मनाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है, और इस दौरान राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा और राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।
मनमोहन सिंह के बयानों ने कई बार सुर्खियां बटोरीं। हालांकि वह अक्सर कम बोलते थे, लेकिन जब भी बोलते थे, उनका अंदाज खास होता था। संसद में उनका शायराना अंदाज भी कई बार देखने को मिला था, जब वह राजनीति के मुद्दों पर कविताओं और शेरों के जरिए प्रतिद्वंद्वियों पर हमला करते थे। उनका एक पुराना वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वह शायरी के जरिए विपक्ष को जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं।
सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह के बीच शायराना संवाद
मार्च 2011 में संसद में विकीलीक्स के खुलासे को लेकर बड़ा हंगामा हुआ था। सुषमा स्वराज ने शहाब जाफरी की प्रसिद्ध पंक्तियों के साथ प्रधानमंत्री पर हमला बोला, ‘तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लूटा? हमें रहजनो से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।’ इसके जवाब में, मनमोहन सिंह ने अल्लामा इकबाल का एक शेर पढ़ा, जो संसद के माहौल को खुशनुमा बना गया। उनका शेर था, ‘माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख।’
शायराना जंग पार्ट दो
2013 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच शेरो-शायरी का आदान-प्रदान हुआ। इस बार, मनमोहन सिंह ने मिर्जा गालिब का शेर पढ़ा, ‘हमें उनसे है वफा की उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है।’ इसके बाद सुषमा स्वराज ने बशीर बद्र का शेर पढ़ा, ‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता।’ इसके साथ ही, उन्होंने अपनी दूसरी शायरी में कहा, ‘तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफा याद नहीं, ज़िंदगी या मौत के तो दो ही तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं।’