Jharkhand: झारखंड में एक बार फिर बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला उफ़ान चढ़ रहा है। न तो अभी किसी राजनीतिक नेता का भाषण हुआ है और न ही कोई चुनाव है। इस बार मामला बांग्लादेशी घुसपैठ का नहीं, बल्कि झारखंड के पांच सीमावर्ती जिलों में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड बनाए जाने का है। इन जिलों में आधार कार्ड आबादी की तुलना में करीब 108.80% अधिक बने हैं।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड के पांच जिलों में यह गड़बड़ी देखी गई है:
लोहरदगा: कुल आबादी 5,58,849, जबकि आधार कार्ड 6,08,111 बने (108.11%)।
साहिबगंज: कुल आबादी 13,92,393, जबकि आधार कार्ड 14,53,634 बने (104.40%)।
पाकुड़: कुल आबादी 10,89,673, जबकि आधार कार्ड 11,36,959 बने (104.34%)।
लातेहार: कुल आबादी 8,79,774, जबकि आधार कार्ड 9,04,150 बने (102.77%)।
गढ़वा: कुल आबादी 16,00,807, जबकि आधार कार्ड 16,20,376 बने (101.22%)।
यह मामला सामने आने के बाद भाजपा के रांची से विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री सी.पी. सिंह ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से इस मुद्दे को उठा रहे थे। वर्तमान में स्थिति ऐसी बन गई है कि संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशियों की भरमार हो गई है। उन्होंने इन घुसपैठियों पर लव जिहाद का आरोप भी लगाया और मामले की सीबीआई जांच की मांग की।
दूसरी ओर, झारखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आधार कार्ड बनाना केंद्र सरकार का काम है। उन्होंने इसे गृह मंत्रालय की विफलता बताते हुए गृह मंत्री पर भी सवाल उठाया।
राजनीतिक विवाद
हाल ही में झारखंड विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नई सरकार बनी। चुनाव में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा अहम रहा। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा कि घुसपैठ रोकना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, न कि राज्य सरकार की। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि बंगाल में घुसपैठ इसलिए नहीं रुका है क्योंकि वहां का स्थानीय प्रशासन घुसपैठ को बढ़ावा देता है उसी तरह झारखंड में स्थानीय प्रशासन भी घुसपैठ को बढ़ावा देता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर कई नदियां, पहाड़ और जंगल होने के कारण पूरी सीमा पर निगरानी करना चुनौतीपूर्ण है।
गृह मंत्री के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि घुसपैठ को रोकने में भारत सरकार पूरी तरह सफल नहीं रही है। जब गृह मंत्री स्वयं इस समस्या का समाधान नहीं दे सकते, तो जनता आखिर किसके पास जाएगी?देश में पहले से ही गरीबी और बेरोजगारी व्याप्त है। बाहरी लोगों को आने से देश के खाद्य संसाधनों पर भी असर पड़ेगा। जिससे लोग गुणवत्तापूर्ण जीवन नहीं जी पाएंगे जिससे हमारे देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचेगा।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अचानक अधिक वोटर कार्ड बनने का मामला सामने आया था। इसके संबंध में भारतीय जनता पार्टी ने सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की थी। वहीं, अब जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड का मामला सामने आने के बाद राज्य में एक बार फिर सियासत गरमा गई है।
इन राजनीतिक पार्टियों के आपसी द्वंद्व में झारखंड की जनता पिस रही है। साथ ही, इस स्थिति का प्राकृतिक संसाधनों और संस्कृति पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बांग्लादेश से घुसपैठ मुख्यतः बेहतर रोजगार, आर्थिक स्थिरता और शरण की तलाश में हो रही है। सीमाओं पर कमजोर निगरानी और स्थानीय स्तर पर राजनीतिक संरक्षण के कारण यह समस्या और बढ़ रही है।
ये घुसपैठिये सस्ते श्रम के रूप में काम करते हैं, जो स्थानीय उद्योगों और निर्माण क्षेत्र के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही, वे स्थानीय मजदूरों के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है और मजदूरी दरों में गिरावट होती है। इन प्रवासियों के कारण बुनियादी सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। सीमित संसाधनों वाले राज्य में, यह स्थानीय नागरिकों के लिए असमानता और असंतोष का कारण बनता है।
साथ ही, स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और रीति-रिवाजों में संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे सामाजिक असंतुलन और सांप्रदायिक तनाव की संभावना बढ़ती है।
समस्या के समाधान के लिए सुझाव
बांग्लादेशी घुसपैठ एक जटिल समस्या है, जो आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल रही है। यह न केवल झारखंड का मुद्दा है, बल्कि देश के लिए भी गंभीर चुनौती है। यदि इसका समाधान नहीं किया गया, तो यह समस्या भविष्य में बड़ी जनसंख्या के साथ संसाधनों पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इसके समाधान के लिए निम्न कदम उठाए जाने चाहिए:
सीमा पर सख्ती
बांग्लादेश से सटी भारतीय सीमा पर कड़ी निगरानी और आधुनिक तकनीकी साधनों का उपयोग किया जाए।
घुसपैठियों की पहचान
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर घुसपैठियों की पहचान करें, उनके दस्तावेजों की जांच करें और फर्जी दस्तावेजों को रद्द करें।
स्थानीय जागरूकता
स्थानीय लोगों को इस समस्या के प्रति जागरूक किया जाए, ताकि वे प्रशासन को सहयोग कर सकें।
बांग्लादेशी घुसपैठ झारखंड और देश के लिए एक गंभीर समस्या है। इससे न केवल राज्य के आर्थिक और सामाजिक ढांचे पर असर पड़ रहा है, बल्कि स्थानीय जनता की आजीविका और संसाधनों पर भी दबाव बढ़ रहा है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब राजनीतिक दल अपने मतभेद भुलाकर ठोस कदम उठाएं। जनता की भलाई और देश की सुरक्षा के लिए इस मुद्दे का समाधान करना अनिवार्य है।
– राहुल कुमार
(लेखक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में अध्ययनरत स्नातक जनसंचार के छात्र हैं)