South Korea: दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ का संकट

South Korea: दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ का संकट

South Korea: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार रात एक अप्रत्याशित और चौंकाने वाला निर्णय लिया, जब उन्होंने पहली बार दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की घोषणा की। यह फैसला खासतौर पर उत्तर कोरिया और अन्य देश-विरोधी ताकतों से उत्पन्न खतरे के आधार पर लिया गया था। हालांकि, जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह कदम बाहरी सुरक्षा समस्याओं के बजाय, राष्ट्रपति की अपनी राजनीतिक परेशानियों और देश में बढ़ते विपक्षी दबाव के कारण उठाया गया था।

राष्ट्रपति यून ने अपनी रात के संबोधन में कहा कि वह देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और “देश-विरोधी ताकतों” को कुचलने के लिए मार्शल लॉ लागू कर रहे हैं। उनका आरोप था कि विपक्षी दल सरकार को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इस घोषणा के साथ ही सेना ने राजधानी सियोल में नेशनल असेंबली (संसद) की इमारत में तैनाती शुरू कर दी। सैनिकों और पुलिस को वहाँ सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगाया गया, और कई हेलिकॉप्टरों ने संसद के ऊपर उड़ान भरी। मीडिया में सैनिकों की इमारत में घुसने, हेलमेट पहने सैनिकों और बंदूकधारी पुलिस की तस्वीरें और वीडियो सामने आए, जिससे यह स्थिति और भी चिंताजनक हो गई।

मार्शल लॉ का मतलब था कि अस्थायी रूप से देश को सेना के नियंत्रण में ले लिया गया था। इस आदेश के तहत, राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों और गतिविधियों पर रोक लगा दी गई और मीडिया को सरकारी नियंत्रण में लिया गया। राष्ट्रपति यून का यह कदम उन प्रदर्शनकारियों और विपक्षी सांसदों के खिलाफ था जो सरकार के खिलाफ थे और उनकी नीतियों की आलोचना कर रहे थे। यह स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई, क्योंकि देश में लोकतंत्र की रक्षा की बात करने वाले राजनेता और नागरिक इस कदम को असंवैधानिक और तानाशाही की ओर बढ़ते कदम के रूप में देख रहे थे।

जैसे ही मार्शल लॉ की घोषणा हुई, संसद के बाहर हजारों लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए जुट गए। विपक्षी दलों के सांसदों ने तुरंत इस कदम का विरोध किया और आपातकालीन वोट की मांग की। विपक्षी दल की सबसे बड़ी पार्टी, डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्यांग ने अपने सांसदों से संसद में आकर राष्ट्रपति के आदेश के खिलाफ मतदान करने का आह्वान किया। उन्होंने आम नागरिकों से भी संसद के बाहर प्रदर्शन करने और इस कदम का विरोध करने की अपील की। उनके इस आह्वान पर हजारों लोग संसद के बाहर जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे, “मार्शल लॉ नहीं चलेगा” और “तानाशाही का विरोध करो।”

हालांकि, सैनिकों की मौजूदगी और घेराबंदी के बावजूद विरोध प्रदर्शन हिंसक नहीं हुआ। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से नारे लगा रहे थे और पुलिस के साथ मामूली झड़पें भी हुईं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में रही। इस दौरान, सांसदों ने बैरिकेड्स को पार करते हुए संसद में प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने संसद में एक आपातकालीन मतदान का आयोजन किया।

दक्षिण कोरियाई संसद में बुधवार तड़के करीब एक बजे 300 में से 190 सांसद उपस्थित थे। इन सांसदों ने राष्ट्रपति यून के मार्शल लॉ के आदेश को अवैध और असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया और राष्ट्रपति यून को इस आदेश को वापस लेने के लिए मजबूर किया। सांसदों का यह निर्णय स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र की संरचना विपक्ष और नागरिकों के दबाव के सामने मजबूती से खड़ी है।

इस घटनाक्रम के बाद राष्ट्रपति यून ने अपनी गलती मानते हुए मार्शल लॉ को वापस ले लिया। यह एक अभूतपूर्व स्थिति थी, जिसमें राष्ट्रपति के फैसले को केवल संसद और जनता के दबाव से पलटने के लिए मजबूर किया गया। इस घटना ने दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र की शक्ति और नागरिक अधिकारों की रक्षा को एक मजबूत संदेश भेजा कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता का दुरुपयोग नहीं हो सकता।

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