Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनावों में फिर से बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान कराने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने कहा कि जब आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती, और जब आप हारते हैं तो इसे लेकर सवाल उठाए जाते हैं। याचिकाकर्ता केए पॉल से पीठ ने कहा, “आपके पास दिलचस्प जनहित याचिकाएं हैं। ये विचार आपको कहां से मिलते हैं?”
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में यह बताया कि कुछ प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम में छेड़छाड़ को लेकर अपनी चिंता जताई है, और एलन मस्क का हवाला देते हुए कहा कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब ये नेता हारते हैं तो ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, लेकिन जब जीतते हैं तो कोई चिंता नहीं जताते। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, “यह वह मंच नहीं है जहां इस पर बहस की जा सकती है।”
याचिका में मतपत्र से मतदान कराने के अलावा अन्य कई दिशा-निर्देशों की भी मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग से यह निर्देश देने की मांग की थी कि यदि कोई उम्मीदवार चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रलोभन देने का दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कई सवाल भी पूछे। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एक ऐसे संगठन के अध्यक्ष हैं जिसने लाखों अनाथों और विधवाओं की मदद की है। इस पर पीठ ने सवाल किया, “आप राजनीति में क्यों आ रहे हैं? आपका कार्यक्षेत्र तो बहुत अलग है।”
पॉल ने यह भी कहा कि उन्होंने 150 से अधिक देशों की यात्रा की है और वहां बैलेट पेपर से मतदान होता है। इस पर पीठ ने पूछा, “क्या आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं रहना चाहते?” याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि भ्रष्टाचार के मामले में निर्वाचन आयोग ने हाल ही में 9,000 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा, “इससे आपकी बात कैसे प्रासंगिक हो जाती है? अगर आप मतपत्र की ओर लौटते हैं तो क्या भ्रष्टाचार नहीं होगा?