Wardha: रोठा गांव की एक अविस्मरणीय यात्रा। – दिव्या झा
Wardha: रोठा गांव की एक अविस्मरणीय यात्रा। – दिव्या झा
Wardha: रोठा गांव की एक अविस्मरणीय यात्रा। – दिव्या झा
शाम- ए वर्धा तेरे दिवाने भी बेशुमार हैं,तू तपती धरती तो है ,परंतु सफल संजीवनी का हर एक मुकाम है।वो दिसम्बर का माह, जब रखा यहां कदमसुहाना मौसम हरियाली चारों ओरकोई नहीं अपना पर देख रखा था सपनाकि कैसे तुम्हें पाऊं और सफल कहलाऊंताकि तुम नही ये सब कहे मै हू ना तेरा अपना। ”कहते…