Poetry: हम ना जाने कैसे है?- निखिल तुरकर

Poetry: हम ना जाने कैसे है?- निखिल तुरकर

Poetry: हम पागल है ,हम अल्हड़ है,हम दीवाने जैसे है।तुम बतलाओ तो हम जाने,हम ना जाने कैसे है? हम देहाती हम गंवार है , हम उन्नीस सौ बीस के है.गोली–कंचे के शौक पाले,हम सदी इक्कीस के है।हमको चौपाटी से ज्यादा,गांव–चौपाल प्यारे है.कोई होंगी स्वर्ग अप्सरा ,हम टूटे से तारे हैं।हम समंदर हम खंडहर है,हम वीराने…

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