वर्धा तुम एक एहसास नहीं हम युवाओं की चलती सांस हो।

Wardha: वर्धा तुम एक एहसास नहीं हम युवाओं की चलती सांस हो : अभिषेक कुमार पाठक

शाम- ए वर्धा तेरे दिवाने भी बेशुमार हैं,तू तपती धरती तो है ,परंतु सफल संजीवनी का हर एक मुकाम है।वो दिसम्बर का माह, जब रखा यहां कदमसुहाना मौसम हरियाली चारों ओरकोई नहीं अपना पर देख रखा था सपनाकि कैसे तुम्हें पाऊं और सफल कहलाऊंताकि तुम नही ये सब कहे मै हू ना तेरा अपना। ”कहते…

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नई पीढ़ी को हिंदी से जोड़ने की संकल्पना

भाषा न केवल संचार का एक माध्यम है अपितु यह सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। भाषा विचारों, मान्यताओं और रीति-रिवाजों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का भी कार्य करती है। भाषा साहित्य, संगीत एवं अन्य कलात्मक विधाओं की अभिव्यक्ति का भी मूल आधार है। किसी भी सभ्यता एवं…

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