महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक बयानबाजी में एक नया मोड़ आ गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अमरावती में दिए गए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे ने राज्य में विवाद छेड़ दिया है। कुछ नेता इसे समर्थन दे रहे हैं, जबकि कई इस पर सवाल उठा रहे हैं। इस नारे पर सबसे पहले प्रतिक्रिया एनसीपी के नेता अजित पवार ने दी, जिन्होंने इस बयान को विरोधी माना है।
अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में बाहरी नेताओं को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह राज्य शिवाजी महाराज, आंबेडकर और शाहू जी महाराज की धरती है, और यहां इस तरह के बयान नहीं चल सकते। पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही वे महायुति का हिस्सा हों, लेकिन उनकी पार्टी की विचारधारा बीजेपी से अलग है, और ऐसे नारे यहां काम नहीं करेंगे।
योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर संजय निरूपम ने समर्थन किया है। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता निरूपम का कहना था कि अगर समाज में एकता रहेगी तो ताकत बढ़ेगी, और यह नारा महाराष्ट्र में पूरी तरह से लागू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अजित पवार को इसे समझने में वक्त लग सकता है।
वहीं, जेडीयू के एमएलसी गुलाम गौस ने भी इस बयान पर अपनी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि ऐसे नारे देश को एकजुट करने के बजाय बांटने का काम कर रहे हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब देश के शीर्ष पदों पर हिंदू हैं, तो फिर हिंदू समुदाय को असुरक्षित महसूस करने का कारण क्या है?
राज्य में इस बयान पर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं, और हर तरफ से विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।